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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2650
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

अध्याय - 5

गठबंधन सरकार, राजनीतिक दल और दलीय प्रणाली

(Coalition Government, Political. Parties and Party System)

 

प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।

 

अथवा
भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?

उत्तर-

भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन सरकारों की अपरिहार्यता - भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के उपरान्त भारतीय संविधान द्वारा उद्घोषणा की गयी कि—भारत राज्यों का एक संघ होगा। इस प्रकार भारत में एकात्मकता के लक्षणों से युक्त संघात्मक व्यवस्था को अपनाया गया है। भारत एक विविधताओं से परिपूर्ण देश है। इसकी अधिकांश इकाइयाँ स्वतन्त्रता से पूर्व स्वतन्त्र रियासतों के रूप में विद्यमान थीं, जिनका भारतीय संघ में विलय एक बड़ी चुनौती थी जिसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया परन्तु साथ ही साथ यह भी ध्यान रखा गया कि भारतीय संघ की एकता व अखण्डता बनी रहे। अतः राज्य स्वायत्तता व स्वतन्त्रता भी सीमित व उचित मात्रा में प्रदान की गयी। ऐसे में संघीय सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अस्तित्व में आयीं। इस सन्दर्भ में विगत 3 दशकों से भारतीय राजनीति में नवीन प्रवृत्ति देखने को मिली है कि संघीय सरकारें गठबन्धन द्वारा ही बन पा रही हैं। इस प्रवृत्ति ने एक नई बहस का सूत्रपात किया है कि क्या वास्तव में भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन सरकारें अपरिहार्य हैं?

वस्तुतः इस प्रश्न का सटीक उत्तर अभी भी खोजा जाना शेष है परन्तु इतना अवश्य ही कहा जा सकता. है कि भारतीय संविधान द्वारा उल्लिखित प्रावधान यह स्पष्ट कर देते हैं कि गठबन्धन सरकारों की अपरिहार्यता जैसे कोई आवश्यकता नहीं है। यदि संघीय सरकार भारतीय संविधान के प्रति प्रतिबद्धता के साथ कार्य करे तो एकदलीय सरकार भी भारतीय संघात्मकता के लिए अत्यधिक श्रेष्ठ सिद्ध हो सकती हैं। इस सन्दर्भ में हमें किसी निष्कर्ष तक पहुँचने हेतु सर्वप्रथम भारत में गठबन्धन सरकारों के प्रादुर्भाव एवं इनके क्रियाकलापों का विवेचन करना आवश्यक प्रतीत होता है, जोकि निम्नलिखित शीर्षकों के अधीन वर्णित किया जा सकता है—

भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति

भारत में भी पाश्चात्य देशों के समान बहुदलीय प्रणाली को अपनाया गया है। भारतीय राजनीति का अध्ययन मिली-जुली सरकारों की राजनीति के अध्ययन के बिना अपूर्ण है। वर्तमान समय में सभी राजनीतिज्ञों का यह मत है कि भारत की राजनीति में अब गठबन्धन की राजनीति का युग है। इसके निम्न शीर्षक हैं-

(1) स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व गठबन्धन सरकार - भारतीय राजनीति व्यवस्था में गठबन्धन सरकार के निर्माण का इतिहास स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व से प्रारम्भ होता है। कैबिनेट मिशन के द्वारा गठित अन्तरिम सरकार में सभी दलों के कुल 14 प्रतिनिधि शामिल किये गये, जिसमें कांग्रेस के 6, मुस्लिम लीग के 5, अकाली दल का 1, ऐंग्लो इण्डियन समुदाय का 1 तथा पारसी समुदाय का 1 प्रतिनिधि शामिल था। अन्तरिम सरकार का अध्यक्ष गर्वनर जनरल को बनाया गया।

(2) एक दल की सरकार सन् 1952 से 1967 ई. तक - भारत में प्रथम संसदीय चुनाव सन् 1952 ई. में हुआ। इस समय चुनाव आयोग ने 14 राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय स्तर के राजनीति दलों के रूप में मान्यता दी। इन चुनावों में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ, क्योंकि उस समय कोई राजनीतिक दल कांग्रेस के समान व्यापक लोकप्रियता व प्रभाव क्षेत्र का नहीं था।

(3) गठबन्धन सरकार की राजनीति सन् 1967 से 1977 ई. तक - चौथे आम चुनाव के बाद यद्यपि कांग्रेस को केन्द्र में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ किन्तु अनेक राज्यों में मिली-जुली सरकारें गठित की गईं। सन् 1969 ई. में कांग्रेस में विभाजन के बाद इंदिरा गाँधी की सरकार को कम्युनिस्ट पार्टी के सहयोग पर निर्भर रहना पड़ा।

(4) केन्द्र में पहली बार गठबन्धन सरकार - जनवरी, सन् 1977 ई. में राजनीतिक दलों जनसंघ, संगठन कांग्रेस, विद्रोही कांग्रेसियों की कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी व सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया। मोरारजी देसाई को जनता पार्टी का अध्यक्ष चुना गया और चौ. चरण सिंह को उपाध्यक्ष चुना गया। जनता पार्टी को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ। जून, सन् 1977 ई. में 9 राज्यों में चुनाव हुये तथा अनेक राज्यों में मिली-जुली सरकार का गठन हुआ।

(5) सन् 1989 ई. का राष्ट्रीय मोर्चा सरकार - सन् 1989 ई. में कांग्रेस के अनेक नेताओं ने पार्टी से त्याग-पत्र देकर जनमोर्चा का गठन किया। जिसका उद्देश्य कांग्रेस के विरुद्ध दलों का एक सशक्त विकल्प तैयार करना था। 11 अक्टूबर, सन् 1988 ई. को बंगलोर में जनता दल ने मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में राष्ट्रीय मोर्चे के सबसे महत्वपूर्ण घटक जनता दल को 141 सीटें प्राप्त हुईं।

(6) सन् 1996 ई. की संयुक्त मोर्चा सरकार - अप्रैल, मई, सन् 1996 ई. के चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ जिसके कारण मिली-जुली सरकार बनाने की सम्भावनाएँ तीव्र हो गईं। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी तथा उसे 161 सीटें प्राप्त हुईं। 16 मई, सन् 1996 ई. को भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने हेतु आमंत्रित किया। 16 मई, सन् 1996 ई. को भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी दलों, जनता पार्टी, अकाली दल, शिवसेना व हरियाणा विकास पार्टी के सहयोग से मिली-जुली सरकार का गठन किया। किन्तु इससे पहले 11 मई, सन् 1996 ई. को राजनीतिक दलों जनता दल, भारतीय कम्प्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, अखिल भारतीय इन्दिरा कांग्रेस (तिवारी), डी. एम. के., तमिल, मनीला कांग्रेस, समाजवादी, मध्य प्रदेश कांग्रेस, मुस्लिम लीग, राष्ट्रीय जनता दल व जनता पार्टी ने मिलकर संयुक्त मोर्चे का निर्माण किया।

(7) सन् 1998 ई. की भारतीय जनता पार्टी - फरवरी, मार्च सन् 1998 ई. में 12वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुये। इन चुनावों में भी किसी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। 14 अप्रैल, सन् 1999 ई. को ए. आई. डी. एम. के. के अध्यक्षता में जयललिता द्वारा इस प्रकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद यह सरकार अल्पमत में आ गई। 15 अप्रैल, सन् 1999 को प्रधानमंत्री ने विश्वास प्रस्ताव लोकसभा में रखा किन्तु दो दिन तक लगातार बहस के बाद इस प्रस्ताव के पक्ष में 269 व विपक्ष में 270 मत पड़े और बीजेपी सरकार को एक वोट से पराजित होना पड़ा। परन्तु 12वीं लोकसभा केवल 13 महीने तक रही।

(8) सन् 1999 ई. की भारतीय जनता पार्टी की सरकार - सितम्बर-अक्टूबर, सन् 1999 ई. में 13वीं लोकसभा के चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। किन्तु भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय गठबन्धन को बहुमत प्राप्त हो गया। 24 राजनीतिक दलों के सहयोग से बने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन के 70 सदस्यीय मंत्रिपरिषद् ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 13 अक्टूबर, सन् 1999 को शपथ ग्रहण की।

(9) सन् 2004 ई. की कांग्रेस की सरकार - मई, सन् 2004 में सम्पन्न हुये 14वीं लोकसभा के निर्वाचनों में भी किसी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। कांग्रेस पार्टी को सर्वाधिक 145 स्थान प्राप्त हुये अतः कांग्रेस के नेतृत्व में गठित संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू. पी. ए.) की सरकार सत्तारूढ़ हुई।

(10) सन् 2009 ई. की कांग्रेस की सरकार - सन् 2009 ई. में सम्पन्न हुये 15वीं लोकसभा के निर्वाचनों में भी किसी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। कांग्रेस पार्टी को सबसे अधिक 206 स्थान प्रापत हुये। अतः कांग्रेस ने अनेक सहयोगी दलों के साथ मिलकर संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की सरकार का गठन किया।

इस प्रकार उपर्युक्त सम्पूर्ण विवेचन के आधार पर यह आवश्यक रूप से कहा जा सकता है कि भारत में 1989 ई. के पश्चात् से कोई भी एकदलीय सरकार केन्द्र में नहीं बन पायी तो वहीं राज्यों में ठीक इसके उलट एकदलीय बहुमत प्राप्त सरकारों का युग पुनः वापस लौट रहा है। अतः यह स्पष्ट हो जाता है कि कहीं न कहीं भारतीय संघात्मक व्यवस्था में संघीय प्रकृति अनुकूल क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को महत्व प्राप्त हो रहा है। इस दृष्टि से देखा जाये तो गठबन्धन सरकारें अपरिहार्य प्रतीत होती हैं परन्तु पूर्ण सत्य केवल इतना नहीं है। वास्तविकता यह भी है कि राष्ट्रीय नेतृत्व व गरिमा की दृष्टि से ये गठबन्धन सरकारें दुर्बल भी सिद्ध हुई हैं और इन सरकारों में सम्मिलित होने वाले क्षेत्रीय दलों का पूरा ध्यान क्षेत्रीय हितों एवं अपने दलगत संकुचित हितों की पूर्ति पर ही होता है और इससे राष्ट्रीय हित प्रभावित होते हैं। जब इन दलों को अपने स्वार्थ पूरे होते नहीं दिखते तो ये पृथक् राज्यों की माँग को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकता को चुनौती देते हैं।

अतः उपर्युक्त सम्पूर्ण विवेचन के आधार पर निष्कर्षतया यह कहा जा सकता है कि यद्यपि गठबन्धन सरकारें संघात्मक व्यवस्था में उपयोगी हैं परन्तु भारतीय संघात्मक व्यवस्था में गठबन्धन सरकारें अपरिहार्य कदापि नहीं है। एकदलीय सरकारें हों या गठबन्धन की सरकारें दोनों के लिए संवैधानिक प्रतिबद्धता व राष्ट्रीय हितों पर केन्द्रित होना अवश्य ही अपरिहार्य है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  2. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  3. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  5. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  6. प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  7. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
  9. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
  12. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
  13. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
  14. प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
  15. प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
  16. प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
  17. प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
  20. प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
  21. प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
  22. प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
  23. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
  25. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  26. प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
  28. प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
  29. प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  30. प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
  31. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  32. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
  33. प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
  34. प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
  35. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
  36. प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
  38. प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  40. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
  43. प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
  46. प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
  47. प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
  48. प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
  49. प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
  50. प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
  51. प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
  52. प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
  54. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  55. प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
  56. प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
  60. प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
  63. प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
  64. प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  65. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  66. प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
  67. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  69. प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
  70. प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
  71. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  73. प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  77. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  78. प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
  79. प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
  82. प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
  83. प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
  84. प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
  85. प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
  86. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
  87. प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
  88. प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
  89. प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  90. प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
  91. प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
  92. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
  93. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
  94. प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
  95. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  96. प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
  97. प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
  99. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
  100. प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  102. प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
  104. प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
  105. प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
  106. प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
  111. प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
  113. प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
  114. प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
  115. प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
  116. प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
  117. प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
  118. प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।

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